तन्हाई में हम तेरी ताकते हैं राहें, तुम्हें देखने को तरसती हैं निगाहें, बेखुदी का ये आलम है कैसा, तुम्हें याद करके निकलती हैं आहें...
आँखें रोई पढ़ी हैं, ना उनका पैगाम आया, चले गए हमें अकेला छोड़कर, ये कैसा मुकाम आया, मेरी तन्हाई मुझपर ये कह कर हँसी, और बोली बता आखिर मेरा सिवा तेरे कौन काम आया...
तन्हा रहना तो सीख लिया हमने, लेकिन खुश कभी ना रह पाएंगे, तेरी दूरी तो फिर भी सह लेता ये दिल, लेकिन तेरी मोहब्बत के बिना ना जी पाएंगे...
मुलाकातें भी कभी आँसू दे जाती हैं, नज़रें भी कभी धोखा दे जाती हैं, गुजरे हुए लम्हों को याद करके देखिये, तन्हाई भी कभी-कभी सुकून दे जाती है...
क्यों तेरी ख़ामोशी मुझे, खामोश कर जाती है, क्यों तेरी उदासी मुझे, उदास कर जाती है, क्या रिश्ता है तेरा और मेरा, जब भी तेरी याद आती है, मुझे तनहा कर जाती है...
तन्हाई में मुस्कुराना इश्क़ है, एक बात को सबसे छुपाना इश्क़ है, यूँ तो नींद नहीं आती हमें रात भर, मगर सोते सोते जागना और जागते जागते सोना इश्क़ है...
जब तन्हाई में आपकी याद आती है, होंठो पे एक ही फ़रियाद आती है, खुदा आपको हर खुशी दे, क्यूंकि आज भी हमारी हर खुशी आपके बाद आती है...
रात की तन्हाई में अकेले थे हम, दर्द की महफिलों में रो रहे थे हम, आप हमारे भले ही कुछ नहीं लगते, पर फिर भी आपके बिना बिल्कुल अधूरे हैं हम...
ये मत कहना की तेरी याद से रिश्ता नहीं रखा, मैं खुद तनहा रहा दिल मगर तनहा नहीं रखा, तुम्हारी चाहतों के फूल तो महफूज़ रखे हैं, तुम्हारी नफरतों के पेड़ को जिंदा नहीं रखा..
एक पल एहसास बनके आते हो, दुसरे पल ख्वाब बनके उड़ जाते हो, ये मालूम है कि तन्हाई से डरते हैं हम, फिर भी बार-बार तनहा छोड़ जाते हो...