मांगी थी दुआ हमने रब से, देना मुझे एके प्यारी बहन जो अलग हो सबसे, उस ख़ुदा ने दे दी हमें एक प्यार सी बहन और कहा, संभालो ये अनमोल है सबसे...
तेरे हर ग़म को अपना बनाऊंगा मैं, खुद रो कर भी तुझको हसाऊंगा मैं, मुश्किलों में गले से लगाऊंगा मैं, हर दर्द से तुझको बचाऊंगा मैं, तू पढ़े और ऊँचा नाम करे, इसलिए खुद कमा कर तुझे पढ़ाऊंगा मैं, लाख कांटे क्यो ना हो मेरी राह में, मगर तेरी ख़ुशी के लिए उन काँटों पे भी मुस्कुराता चला जाऊँगा मैं, दुनिया की हर ख़ुशी तुझे दिलाऊंगा मैं, अपने भाई होने का हर फ़र्ज़ निभाऊंगा मैं...
मिला है कितना प्यार मुझे तुझसे ओ..! बहना, कैसे मैं ये लफ़्ज़ों में बतलाऊं, तू रहे खुश हमेशा इसी दुआ में, आज सर को तेरे आगे मैं झुकाऊं...
काश..! मेरी कोई बहन होती, लड़ता सबसे ज्यादा उससे, पर प्यार में कमी ना होती, कहता हर बात दिल की उसको, उसकी परेशानी मेरी अपनी होती, काश..! मेरी भी एक बहन होती...
चिढ़ाता हर बात पर उसको में, होती खफा तो तोहफे देकर मनाता में, उन तोहफों में उसकी मुस्कान छुपी होती, काश..! मेरी कोई बहन होती...
उम्मीदों की मंज़िल डूब गई, ख्वाबों की दुनिया बह गई, अबे..! तेरी क्या इज़्ज़त रह गई, जब एक जक्कास आइटम तेरे को भैया कह गई...