रिश्ते एहसास के होते हैं, अगर एहसास हो तो अजनबी भी अपने होते हैं, और अगर एहसास नहीं, तो अपने भी अजनबी होते हैं...
कुछ मीठे पल याद आते हैं, पलकों पर आंसू छोड़ जाते हैं, कल कोई और मिल जाए तो हमें ना भूल जाना, दोस्ती के रिश्ते ज़िन्दगी भर काम आते हैं...
हाथ हाथों से छूटता कब है, कोई अपनों से रूठता कब है, जो भी जुड़ जाता है एक बार, फिर वो रिश्ता टूटता कब है...
रिश्ता बनाना इतना आसान है, जैसे मिट्टी पे मिट्टी से मिट्टी लिखना, और रिश्ता निभाना इतना मुश्किल है, जैसे पानी पे पानी से पानी लिखना...
ये प्यारा सा जो रिश्ता है, कुछ मेरा है, कुछ तेरा है, कहीं लिखा नहीं, कहीं पढ़ा नहीं, कहीं देखा नहीं, कहीं सुना नहीं, फिर भी जाना पहचाना है, कुछ मेरा है, कुछ तेरा है, कुछ मासूम सा, कुछ अलबेला, कुछ अपना, कुछ बेगाना, कुछ चंचल सा, कुछ सुलझा हुआ, कुछ मस्ती भरा, कुछ खफा-खफा, कुछ मेरा है, कुछ तेरा है, ये प्यारा सा जो रिश्ता है...
लोग रिश्ते भी फायदा देखकर निभाते हैं, जिनकी जरुरत नहीं तोड़ दिए जाते हैं, ये मोम से रिश्ते हैं, ये गर्मी से पिघल जाते हैं, जब जरुरत हो जला लेते हैं, ना हो तो बुझा देते हैं...
कितना अजीब ज़िन्दगी से हमारा रिश्ता निकला, बांटी हर तरफ खुशियाँ फिर भी तकदीर से दर्द का रिश्ता निकला, हमने तो हर वक्त खुदा से तेरे ही लिए दुआ मांगी थी, फिर भी हमारे प्यार के साथ तेरा जुदाई का रिश्ता निकला...
रिश्ते बन जाते हैं पर तकलीफ़ होती है निभाने में, रूठने वाले तो रूठ जाते हैं पल भर में, और उम्र लग जाती है उन्हें मनाने में...
सबसे प्यारा है प्यार का रिश्ता, जान से जान-निसार का रिश्ता, हम से रिश्ता हुजुर वो रखिये, जो गले से है हार का रिश्ता, आरज़ू ने तेरी निभाया है, उम्र भर इंतज़ार का रिश्ता, जिसकी तस्दीक दिल भी करता है, है वही ऐतबार का रिश्ता, हम जिसे दोस्ती समझ बैठे, था फक्त कारोबार का रिश्ता...
झूठी खुशिओं में अब वो एहसास पाए नहीं जाते, हमसे झूठे रिश्ते अब निभाए नहीं जाते, बड़ी उमीदों से, करते रहे तेरा इंतज़ार, अब तेरे झूठे मिलन से, दर्द के साये नहीं जाते, उमरभर खाती रही धोखा, वफ़ा की उमींद पर, आज तेरी वफा पर भी, ऐतबार-ए-एहसास लाए नहीं जाते, तेरी नजर देखती है मुझे, शायद मैं भी कह दूँ कुछ, छाह कर भी लबों पर, वो पुराने गीत लाए नहीं जाते, दूरियाँ बढ़ गई इतनी की खुद को भी ना चला पता, लौट कर उन्हीं पर, जज़्बात लाए नहीं जाते...