इन नफरत की दीवारों को तोड़ेगा कौन, अगर दिग्गज नहीं करेंगे, तो पहल करेगा कौन, इस दुनिया में बहुत रास्ते हैं चलने के लिए, अगर आज़ादी से पहले मरना पड़ता है, अगर तू मरने से डर गया तो तुझे आज़ाद करवाएगा कौन...
जो सफ़र इख़्तियार करते हैं, वही मंजिलों को पार करते हैं, बस एक बार चलने का हौसला रखो मेरे दोस्त, ऐसे मुसाफिरों के तो रास्ते भी इंतज़ार करते हैं...
पर्वतों को काट के राह बनाने का दम रखते हैं हम, गिर के तूफानों से उन्हें मज़ा चखाने का दम रखते हैं हम, ये तो तरस आ जाता है आसमान की खामोशी को देखकर, वरना उसका भी सीना चीरकर, रौशनी फैलाने का दम रखते हैं हम...
जब दुनिया तुम पर उँगलियाँ उठाए, जब लोग तुम्हारे रास्ते में मुश्किलें बिछाएँ, तो ना हार हौसला इन मुश्किलों के आगे, खुद को साबित कर विजेता, तू पलटकर वार कर...
अपनी ज़मीन अपना आकाश पैदा कर, अपने कर्मों से नया इतिहास पैदा कर, मांगने से मंज़िल नहीं मिलती ए-दोस्त, अपने हर कदम पे नया विश्वास पैदा कर...
भरी बरसात में उड़ के दिखा ए-माहिर परिंदे, खुले आसमान में तो तिनके भी सफर किया करते हैं..
चलो दुश्मन से मुलाकात करें, नया साल आया है नई बात करें, मज़हब के नाम पे क्यों दंगे-फसाद? यही सवालात आज हर शक्स से करें, ना रहे कोई भी भूखा प्यासा, मिलकर जमाने के ऐसे हालात करें, जो करे अत्याचार बेगुनाहों पर, ढूँढकर उनको चलो हवालात करें, गुज़ारिश है जमाने से रोज़ यही, मुल्क में अमन की बरसात करें...
ना हारना है तुझको, हरा कर दिखाना है, चाहे जितना भी हो मुश्किल, मंज़िल पाकर दिखाना है, पर्वत आए या आए कोई तूफ़ान, टस से मस ना होना है, हर हार को अपनी ताकत से, जीत कर दिखाना है...
ना पूछो की मेरी मंज़िल कहाँ है, अभी तो सफ़र का इरादा किया है, ना हारुँगा हौसला उम्र भर, ये मैंने किसी से नहीं खुद से वादा किया है...
क्यों डरें ज़िन्दगी में क्या होगा, हर वक्त क्यों सोचे कि बुरा होगा, बढते रहे मंजिलों की ओर हम, कुछ भी ना मिला तो क्या, तजुर्बा तो नया होगा...