हुस्न वालों को क्या ज़रूत है सवरने की, वो तो सादगी में भी कयामत की अदा रखते हैं..
हर अच्छी चीज़ का बुरा जवाब नहीं होता, हर हुस्न लाजवाब नहीं होता, नज़र तो नज़रों से मिलती है, पर हर नज़र का मतलब प्यार नहीं होता...
तुम्हारा हुस्न एक जवाब, मेरा इश्क एक सवाल ही सही, तुम्हारे मिलने की ख़ुशी नहीं, तुमसे दुरी का मलाल ही सही, तुम ना जानो हाल इस दिल का, कोई बात नहीं, तुम नहीं जिंदगी में तो तुम्हारा ख्याल ही सही...
खुदा जब हुस्न देता है नजाकत आ ही जाती है, कदम सोच-सोच कर रखती हो, कमर बलखा ही जाती है...
बहुत खूबसूरत हैं आँखें तुम्हारी, इन्हें बना दो किस्मत हमारी, हमें नहीं चाहिये ज़माने की खुशियाँ अगर मिल जाये बस मोहब्बत तुम्हारी...
बिकता है गम हुस्न के बाज़ार में, लाखों दर्द छुपे होते हैं एक छोटे से इंकार में, वो क्या समझेंगे प्यार की कशिश को, जिन्होंने फर्क ही नहीं समझा पसंद और प्यार में...
तेरी हर सुबह मुस्कुराती रहे, तेरी हर शाम गुनगुनाती रहे, तु जिसे मिले इस तरह से मिले, की हर मिलने वाले को तेरी याद सताती रहे...
तरस गए आपके दीदार को, फिर भी दिल आप ही को याद करता है, हमसे खुशनसीब तो आइना है आपका, जो हर रोज़ आपके हुस्न का दीदार करता है...
क्या तारीफ़ करूँ आपकी बात की, हर लफ्ज़ में जैसे खुशबू हो ग़ुलाब की, रब ने दिया है इतना प्यारा हुस्न तुम्हें, हर दिन तमन्ना रहती है दीदार की...
मुस्कुराते हैं तो बिजलिया गिरा देते हैं, बात करते हैं तो दिवाना बना देते हैं, हुस्न वालों की नज़र कम नहीं कयामत से, आग.. पानी में वो नज़ारों से लगा देते हैं...