दिल पे क्या गुज़री वो अनजान क्या जाने, प्यार किसे कहते हैं वो नादान क्या जाने, हवा के साथ उड़ गया घर इस परिंदे का, कैसे बना था घोंसला.. वो तूफान क्या जाने..
दिल तोड़के तुमको भी राहत ना मिलेगी, मुझ जैसी किसी और को मिलने की चाहत ना मिलेगी, बरबाद होके भी तेरा बुरा ना चाहा, दिल चीर के देखलो कभी नफरत ना मिलेगी...
किसी और की बाहों में रहकर, वो हमसे वफ़ा की बात करते हैं, ये कैसी चाहत है यारों, वो बेवफा है ये जानकार भी, हम उसी से बेपनाह प्यार करते हैं...
हमने अपनी साँसों पर उनका नाम लिख लिया, नहीं जानते थे कि हमने कुछ गलत किया, वो प्यार का वादा हमसे करके मुखर गए, खैर उनकी बेवफाई से कुछ तो सबक लिया...
ज़रुरत नहीं मोहब्बत की आज हमें, कल जब थी तब उसे गुरूर था, नयें थे हम मोहब्बत के इस शहर में, तभी ना जान सके की उसका घर तो, बेवफा के लिए मशहूर था...
उसकी आँखों में इस कदर नूर है कि, उनकी याद में रोना भी मंज़ूर है, बेवफा भी नहीं कह सकते उसे क्योंकि, प्यार हमने किया वो तो बेक़सूर है...
हमें फूलों से क्या गिला, हमनें तो खुद काटों से, मोहब्बत की है.. हमें किसी की बेवफाई से क्या लेना देना, हमनें तो खुद बेवफाओं से, मोहब्बत की है..
इश्क की कश्ती पर सवार तो हम हुए, मिले खाक में हम, गुले-ए-गुलज़ार वो हुए, रब ऐसी मोहब्बत किसी को ना दे, जिसकी आग में जलकर राख हम हुए...
किसी से बेवफाई इतनी भी न करो की, उन्हें प्यार पर नाज़ करने का मौक़ा भी ना मिले, किसी का दिल इतना भी ना तोड़ो की, फ़रियाद करने का एक टुकड़ा भी ना मिले...
जिसने कभी चाहतों का पैगाम लिखा था, जिसने अपना सब कुछ मेरे नाम लिखा था, सुना है आज उसे मेरे ज़िक्र से भी नफरत है, जिसने कभी अपने दिल पर मेरा नाम लिखा था..